Budhia Singh: 4 साल की उम्र में 65 किमी दौड़कर रिकॉर्ड बनाने वाला आज कहां है?
Budhia Singh Marathon Boy: साल 2006 में बुधिया सिंह नाम का एक लड़का रातों-रात फेमस हो गया था. हैरानी हुई न? जी हां, तब सोशल मीडिया नहीं होता था वायरल करने के लिए. बुधिया सिंह ने महज 4 साल की उम्र में 65 किलोमीटर की मैराथन रेस पूरी कर डाली थी और रिकॉर्ड बनाया था.
लेकिन क्या आपको पता है कि आज बुधिया सिंह (Budhia Singh) कहां हैं? क्या कर रहे हैं नहीं न? तो चलिए इस पोस्ट में हम आपको उनके बारे में ही बताते हैं.
जिन्हें बुधिया सिंह के बारे में नहीं पता है उन्हें बता दें कि 2 मई 2006 चार साल के बुधिया सिंह ने मैराथन में भाग लिया था. ये मैराथन थी 65 किलोमीटर की. भवुनेश्वर में हुई इस दौड़ को बुधिया सिंह ने महज 7 घंटे और 2 मिनट में पूरा कर दिया था. गौर करने वाली बात ये थी कि बुधिया सिंह ने बिना किसी प्रोफेशनल ट्रेनिंग के ये दौड़ पूरी की थी. बुधिया सिंह बेहद ही गरीब परिवार से आते थे. इस मैराथन ने उन्हें रातों-रात स्टार बना दिया था. इस रेस के बाद बुधिया को अगला मिल्खा कहा जाने लगा था.

मैराथन दौड़ने का मजेदार किस्सा
बुधिया के मैराथन दौड़ने की कहानी भी काफी मजेदार है. गौरतलब है कि बुधिया सिंह के कोच बिरंचि दास ने एक बार सजा के तौर पर बुधिया को दौड़ने के लिए कहा मगर बुधिया ने तो कुछ और ही ठान रखा था. जब 5 घंटे बाद बिरंचि दास वापस आए तो उन्होंने देखा कि बुधिया लगातार दौड़े जा रहा है. इसके बाद उन्होंने बुधिया को मैराथन में उतार दिया. बिरंचि दास ने बुधिया की किस्मत बदली थी उन्होंने ही झोपड़ी में रहने वाले एक बच्चे को इस मुकाम पर पहुंचाया था. हालांकि बाद में बिरंचि दास की हत्या कर दी गई थी.

बुधिया सिंह का परिवार
बताया जाता है कि बुधिया सिंह का जन्म ओड़िशा के भुवनेश्वर में हुआ था. बुधिया की माता का नाम सुकांति सिंह है. बुधिया के पिता का निधन जब वो दो साल का था तभी हो गया था. इसके अलावा इनकी तीन बहनें भी हैं. एक अखबारी रिपोर्ट के मुताबिक बुधिया की मां दूसरों के घरों में बर्तन धोने का काम करती थी. इसके अलावा एक बार उसने अपने बेटे बुधिया को 800 रुपए में एक रेहड़ी-पटरी वाले को बेच दिया था.

मैराथन के बाद Budhia Singh का जीवन
हालांकि मैराथन दौड़ने के बाद बुधिया की किस्मत बदल गई. मैराथन ने उसकी जिंदगी में थोड़ा बहुत बदलाव लाया. इनका नाम अभी LIMCA BOOK of RECORDS में अंकित है. इसके अलावा वो अभी तक 48 मैराथन में दौड़ लगा चुके हैं. इनकी लाइफ स्टोरी पर एक फिल्म भी आ चुकी है. जिसका नाम था बुधिया सिंह: बॉर्न टू रन. सरकार ने भी बुधिया को Rajiv Gandhi Award of Excellence ने नवाजा था.

2017 की एक मीडिया रिपोर्ट में बताया गया था कि बुधिया सिंह का जीवन एक बार फिर से अंधेरे में है. उन्होंने साल 2006 के बाद से कोई भी बड़ी रेस नहीं दौड़ी है. बड़ी मुश्किल से उनके परिवार चल रहा है. सैलरी के नाम पर 8 हजार रुपए दिए जाते हैं. राज्य सरकार का खेल विभाग भी इनकी कोई मदद नहीं कर रहा है.
बुधिया बताते हैं कि उन्होंने अपनी जिंदगी के 10 साल भुवनेश्वर के स्पोर्ट्स हॉस्टल में गुजारे. वो बताते हैं कि उनसे वादा किया गया था कि उसे बड़ी प्रतियोगिताओं का हिस्सा बनाएंगे. मगर ये वादा किसी ने नहीं निभाया. सरकार ने भी बुधिया को बस ठेंगा दिखाया. बुधिया के पुराने कोच की हत्या के बाद कई साल तो उनके पास कोई कोच भी नहीं थे. बाद में उन्हें कोच के तौर पर आनंद चंद्र दास का साथ मिला.

अब कहां हैं Budhia Singh?
बुधिया की उम्र 20 साल हो चुकी है. इनकी लाइफ की वर्तमान स्टोरी काफी कम ही मिलती है. मगर कुछ मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि वो अगल ओलंपिक जो कि 2024 में होना है उसकी तैयारी कर रहे हैं. बुधिया अब अपने परिवार के साथ ही रहा करते हैं.
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ट्वीटर पर बुधिया का एक अकाउंट भी है. इस अकाउंट में पैसे बटोरने के लिए एक लिंक भी लगी हुई है. जिसके जरिए बुधिया अपने सपनों को पूरा करना चाहता है. इस लिंक में लक्ष्य दिखाया गया है 15 लाख का हालांकि अभी तक 79,000 रुपए ही बटोर पाए हैं. बुधिया के नाम का एक इंस्टा अकाउंट भी मौजूद है इसपर भी ये पैसा बटोरने वाली लिंक लगी हुई है. ये भी पढ़ें- सिर्फ 15 हजार रुपये में गुजारा कर रहे Pradeep Mehra, मां के इलाज तक को नहीं पैसे